जानिए भारत के वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त कौन है?

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा राजीव कुमार को 1 सितंबर 2020 को एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त देश का अगला निर्वाचन आयुक्त किया गया है।

भारत के वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त कौन है?

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भारत को हमेशा इस बात पर गर्व रहा है कि वह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। देश के इस गुरुर को बनाए रखने की सबसे अहम भूमिका रही है भारतीय निर्वाचन आयोग की।


इस निर्वाचन आयोग को संचालित करने का काम करते हैं इसके तीन आयुक्त जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है। मूल बात यह है कि राजीव कुमार को देश का अगला निर्वाचन आयुक्त किया गया है।


यह आर्टिकल 5 सितंबर 2022 को पब्लिश किया गया है इससे आप नए निर्वाचन आयुक्त का अंदाजा लगा सकते हैं लेकिन आपको बता दें यह आर्टिकल समय-समय पर अपडेट किया जाता रहेगा ताकि आपके पास सटीक जानकारी पहुंच सके।

कौन हैं राजीव कुमार?

दरअसल मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा 14 मई को अपने पद से रिटायर हो चुके हैं। इसी को देखते हुए अगले मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर राजीव कुमार को नियुक्त किया गया है।


राजीव कुमार 15 मई को अपना कार्यभार संभाल चुके हैं इनकी नियुक्ति को लेकर मंत्रालय के द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजीव कुमार की नियुक्ति की है।


गौरतलब है कि राजीव कुमार को 1 सितंबर 2020 को चुनाव आयुक्त बनाया गया है। बिहार अथवा झारखंड कैडर के 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक यानी कि IAS अधिकारी हैं।


फरवरी 2020 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। आपको बता दें भारत में भारत निर्वाचन आयोग एक संवेधानिक निकाय है।


जो सविधान में बताए गए नियमों और कानूनों के मुताबिक चुनाव करवाने के लिए जिम्मेदार है। इसे 25 जनवरी 1950 को स्थापित किया गया था। वर्तमान में इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्त मौजूद हैं।


मुख्य चुनाव आयुक्त और उनकी सलाह के ऊपर अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु इनमें से जो भी पहले हो तक होता है।


इन सभी चुनाव आयुक्तों को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के साथ समान वेतन और भत्ते मिलते हैं। 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो तक वेतन, भत्ता मिलता है।


मुख्य निर्वाचन आयुक्त को केवल संसद द्वारा महाभियोग के माध्यम से राष्ट्रपति द्वारा ही हटाया जा सकता है। निर्वाचन आयोग के कई प्रमुख कार्य होते हैं जैसे कि चुनाव की निगरानी, निर्देशन और आयोजन आदि।


आयोग राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए हर चुनाव से पहले आदर्श और

आचार‌ संहिता जारी करता है ताकि लोकतंत्र की शोभा बनी रहे।


यह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति संसद और राज्य विधानसभा के चुनाव करवाता है। इस प्रक्रिया में आयोग मतदाताओं के नामोली तैयार करने, राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण करने, इन पार्टियों का राज्य और राष्ट्रीय पार्टियों का पंजीकरण करने, सांसद और विधायक की अयोग्यता पर राष्ट्रपति और राज्यपाल को सलाह देने और चुनाव में गलत तरीके इस्तेमाल करने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने जैसे महत्वपूर्ण काम करता है।


इसमें चुनाव आयोग की अर्धन्यायिक जिम्मेदारियां भी हैं जिसे अनुच्छेद 301 के तहत राष्ट्रपति संसद के अयोग्यताओं के संबंध में निर्वाचन आयोग से परामर्श करता है।


कुल मिलाकर भारतीय निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है। वर्षों से चुनाव आयोग ने लोकतंत्र को मजबूत करने और चुनाव के निष्पक्षता बढ़ाने के लिए कई प्रशंसनीय चुनावी सुधार किए हैं।


यह सुधार काफी पर्याप्त और सराहनीय हैं इसके बावजूद किसी भी व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने अपनी चौथी रिपोर्ट शासन में नैतिकता में कहा है 


कि भारतीय निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति करण करने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक कॉलेजियम की व्यवस्था की जानी चाहिए।

Conclusion

हमें उम्मीद है कि यदि आप सरकारी एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो आप bharat ke vartman mukhya nirvachan ayukt kaun hai इससे जुड़ी जानकारी अच्छे से समझ चुके होंगे।

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